UP Primary Schools Merger: याचिकाएं खारिज, हाईकोर्ट का अहम फैसला

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है। राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित प्राथमिक स्कूलों के विलय (Primary School Merger) की योजना को अब हाईकोर्ट से हरी झंडी मिल गई है। इस फैसले के बाद राज्य के हजारों छोटे और कम नामांकन वाले विद्यालयों का एकीकरण (Merger) किया जा सकेगा।

यह फैसला शिक्षा व्यवस्था के पुनर्गठन की दिशा में सरकार के प्रयासों को मजबूत करता है। हाईकोर्ट ने इस फैसले पर दायर कई याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार की मंशा को सही ठहराया है।

हाईकोर्ट का फैसला क्या कहता है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा शुरू की गई प्राथमिक स्कूल विलय योजना को न्यायसंगत और जनहित में बताया है। कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार को शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने का अधिकार है और यदि स्कूल विलय से संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है तो इसे अवैध नहीं कहा जा सकता।

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याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि विलय से छात्रों को असुविधा होगी और कई स्कूलों को बंद किया जाएगा। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि छात्रों के हितों की रक्षा करते हुए ही विलय की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।

सरकार की मंशा क्या है?

राज्य सरकार ने कम नामांकन वाले विद्यालयों को एक साथ मिलाकर ‘एकीकृत विद्यालय’ (Composite Schools) बनाने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य है:

  • शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  • बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग
  • बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना
  • प्रशासनिक खर्चों में कटौती

इस योजना के तहत ऐसे स्कूल जिनमें छात्र संख्या बहुत कम है या पास में ही अन्य स्कूल मौजूद हैं, उन्हें आपस में मर्ज किया जाएगा।

किन स्कूलों का होगा विलय?

सरकार ने ऐसे प्राथमिक विद्यालयों की पहचान की है:

  • जिनमें छात्र संख्या निर्धारित न्यूनतम सीमा से कम है
  • जो एक ही गांव या क्षेत्र में नजदीक स्थित हैं
  • जिनके भवन जर्जर या संसाधनहीन हैं
  • जहां शिक्षक संख्या आवश्यकता से कम है

इन सभी मापदंडों को ध्यान में रखते हुए स्कूलों का पुनर्गठन किया जाएगा।

शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया

कुछ शिक्षक संगठनों ने शुरू में इसका विरोध किया था, लेकिन अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। सरकार का कहना है कि किसी भी शिक्षक की सेवा को प्रभावित नहीं किया जाएगा। बल्कि उन्हें ऐसे स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहां उनकी अधिक आवश्यकता है।

छात्रों पर प्रभाव

सरकार ने कहा है कि छात्रों को अधिक दूरी तय न करनी पड़े, इसके लिए स्कूलों का चयन दूरी और पहुंच के आधार पर किया गया है। साथ ही, नए एकीकृत स्कूलों में अतिरिक्त संसाधन, पुस्तकालय, खेलकूद की सुविधाएं और ICT लैब जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

निष्कर्ष

प्राथमिक स्कूल विलय योजना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का समर्थन सरकार की शिक्षा सुधार नीति के लिए एक बड़ा बल है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि शिक्षा के लिए संसाधनों का बेहतर और संतुलित उपयोग भी संभव हो सकेगा।

अब सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रक्रिया में किसी छात्र या शिक्षक का शैक्षणिक या व्यक्तिगत नुकसान न हो और बदलाव को व्यवस्थित ढंग से लागू किया जाए।

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