RAS Mains स्थगित न हो जाए – उम्मीदवारों से पहले कोर्ट पहुंचा RPSC, दायर की Caveat

राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन (RPSC) ने RAS मेन्स परीक्षा (17–18 जून 2025) को लेकर बढ़ रहे विरोध-प्रदर्शनों और legal petitions को देखते हुए राजस्थान हाई कोर्ट में केविएट (caveat) दायर किया है। इसका मकसद है कि कोर्ट बिना RPSC की बात सुने किसी interim relief या स्थगन का आदेश न दे।

RAS मेन्स की तारीख बनी पक्की – विरोध और दबाव जारी

RPSC ने admit cards 14 जून को जारी किए और मेन्स परीक्षा के लिए तैयारियां पूरी कीं, जिन्हें 17–18 जून 2025 को 48 केंद्रों (जयपुर व अजमेर) पर आयोजित करने की घोषणा की गई वहीं कई उम्मीदवारों ने परिणामों और interview प्रक्रिया के लंबित रहने का हवाला देकर परीक्षा स्थगित करने की मांग शुरू कर दी ।

उम्मीदवारों की मुख्य मांगें

  1. RAS 2023 के परिणाम पहले घोषित हों – बहुत से उम्मीदवार दोनों सत्रों में शामिल हैं
  2. 2023 मेन्स उत्तरपुस्तकों की जांच व प्रतियां जारी हों
  3. बॉर्डर क्षेत्र के उम्मीदवारों को अतिरिक्त समय दिया जाए – Operation Sindoor के कारण तैयारी प्रभावित हुई
  4. वार्षिक परीक्षा कैलेंडर प्रकाशित हो – जिससे भविष्य में overlap और असमंजस्य न हों

RPSC ने हाई कोर्ट में क्यों दायर किया केविएट?

RPSC ने कहा है कि उम्मीदवारों ने अदालत में याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई कोर्ट से स्थगन का आदेश तलबी जा रहा है, लेकिन Commission ने Delhi High Court में प्रार्थना पत्र के साथ caveat दाखिल कर दिया है कि कोई interim order केवल Commission की दलीलों को सुने बिना न दिया जाए ।

विरोध और सुरक्षा में कड़ाई

  • राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्र परिषद हिरासत में
  • पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी कि वे कैंपस खाली करें
  • RPSC ने परीक्षा के दौरान tight security में प्रवेश समय एक घंटा पहले तय किया
  • Day 1 में 80% से अधिक उपस्थिति दर्ज की गई,

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

  • BJP नेता मदन राठौड़ ने लगाई परीक्षा स्थगन की मांग navbharattimes.indiatimes.com
  • पूर्व CM अशोक गहलोत ने छात्रों को BJP के राज्याध्यक्ष से मिलकर मसला उठाने की सलाह दी

निष्कर्ष

RPSC की caveat फाइलिंग एक स्पष्ट संकेत है कि वह Me NS exam को समय पर कराने के लिए कतई पीछे नहीं हटेगा। वहीं छात्रों की मांगें — खासकर RAS 2023 के रिजल्ट्स और उत्तरपुस्तकों की पारदर्शिता — पूरी तरह से जायज़ हैं। अब सवाल है कि High Court जब सुनवाई करेगी, तो Commission के administrative schedule को प्राथमिकता दी जाएगी या candidate delays मुद्दे को आगे बढ़ाएगी

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